बचपन में अकसर हम कई तरह के गैम खेला करते थे। जैसे माचिस की डब्बियों से पत्ते बनाकर, सिगरेट की डब्बियों से पत्ते बनाकर एक-दूसरे की काट किया करते थे। जैसे गोल्ड फ्लेक पर गोल्ड फ्लेक का कार्ड रखने से बाज़ी के सारे पत्ते मेरे।
इन्ही कई तरह की गड्डियों में एक गड्डी और खेला करते थे हीरो-हिरोइनों के फोटो वाली गड्डी जो एक रूपये के A-4 पेपर से छोटे-छोटे फोटो कटिंग करके बनाया करते थे।
अकसर हम गड्डी खेलने डिलाइट सिनेमा की मुंडेर पर जाते थे हम सभी 12 से 15 तक की उम्र के दायरे में घिरे थे।
हम सभी दोस्त घेरा बनाकर गड्डी खेल रहे थे शाम का समय था, हमारा मस्ती करने का टाइम चल रहा था। वो भी उसी मुंडेर पर आकर बैठ गया- गन्दे-सन्दे कपड़े और हालत हमसे भी गई गुज़री।
हाथ में एक पुरानी सी कॉपी और कुछ कागज़ पकड़े हुए था तभी मेरी नज़र उसकी फटी-पुरानी कॉपी से निकलते हुए उस A-4 पेपर पर गई जो हमारे ही जैसा फोटो वाला था।
हमने उससे वो पेपर छिनने की नियत से पूछा- ये क्या है दिखाना?
वो आदमी- मेरी फिल्म के हीरो हैं।
मेरा दोस्त राजेश- दिखा कौन सा हीरो है?
उसने अपनी कॉपी को छाटते हुए बस कुछ कटिंग किये हुए फोटो दिखाए जिसमें से कुछ फोटो हमने पैरों के नीचे छुपा लिए थे। लेकिन उसने वो शीट हमारे हाथ में नही दी ना जाने क्या खास था उस फोटो पेपर में। कॉपी छाटते वक़्त हम सभी की नज़रे उसके हाथों मे मेली हो चुकी उसकी अपनी कहानियों पर थीं। कोई भी पन्ना एसा नही था जिस पर शब्द ना हों, अगर किसी पन्ने पर कहानी नही होती तो घुचुड़-मुचुड़ या काटी-पीटी होती शायद पूरी कॉपी भरी हुई थी और जो फोटो शीट को वो हाथ मे दबाए बैठा था नज़र जाते ही पता चला की उसने कुछ हीरो को चुन रखा था अपनी फिल्म के लिए ( सही का निशान लगा कर )
एक- दूसरे के बीच इस तरह के बरताव से हम छेड़छाड़ पर आ गऐ और अंड-शंड बोलने लगे...
राजेश- दिखा तो सही कौन है हीरों?
वो आदमी- मैं फिल्म की कहानी लिख रहा हूं।
राजेश- अच्छा... तो सुना क्या कहानी है?
वो हमसे छटपटाने लगा और हमारे बीच से जाने लगा तभी हममें से किसी की शरारत से वो कॉपी हमारे हाथ लगी।
फटी-पुरानी कॉपी के पहले पेज पर संजय दत्त का छोटा सा गड्डी वाला फोटो चिपका हुआ था और फल्म का नाम था रोटी, कपड़ा और मकान।
हमने उसकी कहानी को खूब मज़े ले-लेकर पड़ा उसकी कहानी उसकी ही अपनी रोज़मर्रा पर थी।
सुबह से लेकर शाम तक वो क्या करता है।
सैफू.
मेरी फिल्म के हीरो...
Thursday, October 22, 2009
Labels: यादों की दुनियां...
1 comments:
hero koi ho, masti se alag uske khwaab kitne sapnile the.......
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