जहां देखो वहीं बातें, कोई खड़े-खड़े बातों में मगन है तो कोई रिक्शों, चबूतरों, ठैलों और चाय की टेबलों पर, हर कोई एक दूसरे को अपना-अपना समझ उसके आगे अपनी बातों के पिटारे को खोला बैठा है।
पर क्या ये खुलकर बातें कर पाते होंगे?
क्योंकि कहीं कोई अपने चिंतनमनन को गैहराई तक सोच रहा है तो कोई एक दूसरे को देख गाली अपने मुँह से बरसा रहा है, कभी हँसे तो कभी गाली, कभी गाली तो कभी जोर-जोर से हँसें.... तेरी मां की... तेरी बहन की...
और जिसको वो देख कर गालियाँ बक़ रहा था वो उसकी तरफ देखें और हँसनें लगे! न जाने कैसे रिश्तें में बन्धे थे वो जो एक दूसरे को गलत से गलत बात के जवाब में भी सिर्फ़ हंसी दे रहे थे।
पर कोई गाली दे या गहरा चिंतनमनन करे किसी को किसी से कोई लेना-देना नहीं सिर्फ़ अपनी बातों और सुनने वालों के अलावा।
न चाय वाले को किसी से गिला-शिकवा और न वहां खड़े और लड़के-लपाड़ों को.....
लड़के-लपाड़े इसलिए क्योंकि जिस आज़ादी में वो ऐसा व्यवहार कर रहें हैं उसी आज़ादी को वहां खड़ा हर एक शख़्स महसूस कर उस महफिल में शरीक होता है।
और जब यहां कोई उतरता है अपनी मस्ती में तो उसके लिए भी सिर्फ़ उसके सुनने वालों के अलावा कोई माइनें नहीं रखता न जगह न लोग।
पता नहीं कौन किसके नियमों पर चल रहा है यहां किसी पर पाबंदी तो शायद कुछ नहीं पर यहां सब कुछ करने की आज़ादी भी नहीं है, वो सब कुछ जो समाज की नज़रों में गलत हो न कि सिर्फ़ तुम्हारे घर-परिवार की नज़रों में।
और शायद उसी को मान सब चल भी रहें हैं समाज में कोई ऐसा नियम नहीं है कि :-
: लड़के रात को नहीं जाग सकते ...
: अपने उठने-बैठने से बनाई जगह पर खड़े होकर बातें नहीं कर सकते ...
: गालियां नहीं दे सकते जो किसी को बुरी होकर भी बुरी ना लगती हों ...
ऐसा कोई नियम नहीं है समाज में। पर आपके घर में आपको ऐसा करने पर हमेशा डांटा जाता है और मनादी की जाती है। क्योंकि कोई इसे गलत माने या न माने पर उनका मानना यह है कि उस जगह में बैठना मतलब खरबूजा देख खरबूजे का रंग बदलना।
ये जगह है आज़ादी की जहां मैं भी हूं, आप भी हो और हम भी, कल भी थे, आज भी है और आते रहेंगें, बातें करते रहेंगें।
सैफूद्दीन
न जाने कहां से लाते हैं ये इतनी बातें...
Wednesday, January 21, 2009
Labels: महफिलों के बीच से...
5 comments:
क्या बात है जी आते ही बज़्म पर छा जाने के इरादे नज़र आ रहे हैं।
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swaagat hai
आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है !
सार्थक लेखन !
शुभकामनाएं।
bato bato me aapne bahut si bate likh dali, aise hi batiyate matlab ki likhte rahiye.
----------------------------------------"VISHAL"
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