.
.
गुज़ारू अपना आज किसी सपने में सजा कर
उतारू अपने आप को किसी आईने में बसा कर
निकलु मैं भी एक दिन उड़ने की तमन्ना लिए,
चलु मैं भी एक दिन खुद को भीड़ बता कर...
जिंदगी के लम्हातों से पूछु अपना हाल बे-हाल बता कर
सीखू उससे जीना सुर-ताल लगा कर.
सुनाऊ कोई सपना, अपना कोई पल छुपा कर,
और पूछु अपने कल से अपना कल बता कर.
सैफू
एक नज़र
Labels: यादों की दुनियां...