कोरियर बॉय...

पहला दिन बड़ा ही थका देने वाला था गर्मियों की छुट्टियों में शहर की दौड़-धूप के बीच उतर पड़ा था मैं।
ओफिस से मिला एक काला बेग और कुछ पैकेट, जहां से मुझे वो पैकेट उठाने के लिए कहा गया था उस ड्रा नीचे लिखा था चाँदनी चौक और आस-पास दरिया गंज, दरीबा, जामा मस्जिद...

मुझे चाँदनी चौक के लिए चुना गया था और हर पैकेट को पहुचाने के बाद स्लिप पर साइन करवा कर वापस लाने को कहां जिससे की मेरे काम को गिनतीयों में उतारा जा सके।

कुल 16 पैकेट और 16 गलियां, 16 पतें और 16 अलग-अलग आस-पास की पहचान कहीं गली के पास स्टेट बैंक ओफ इंडिया तो किसी गली के बाहर साबरीन मस्जिद किसी गली की पहचान पुराने प्याउ से तो किसी गली को फाटक से नवाज़ते लोग।

पतों की खोज और पहचान करते-करते शहर के कुछ हिस्सों को एसे देख रहा था जैसे शहर में कोई अजनबी आया हो, कोरियर का काम शुरू करने से पहले मेरे दोस्त ने ये सलाह दी थी कि "काम मुश्किल नही है मुश्किल है तो जगह की पहचान होना ।"


सैफू.

0 comments:

Post a Comment